कलेक्टर से समक्ष ग्रास कार्प एवं कॉमन कार्प प्रजाति की मछलियों के बीज छोड़े
उदयपुर 23 दिसम्बर। झील संरक्षण एवं विकास समिति की बैठक में जिला कलक्टर द्वारा लिए गए निर्णय की अनुपालना में पिछोला झील में मत्स्य विभाग द्वारा एक लाख ग्रास कार्प एवं कॉमन कार्प प्रजाति की मछलियों का फिंगरलिंग साईज मत्स्य बीज पिछौला झील में गठित कमेटी सदस्यों एवं कलक्टर ताराचंद मीणा के समक्ष संचय किया गया।
उप निदेशक सैयद लायक अली ने बताया कि कलक्टर के निर्देशानुसार गठित उप समिति द्वारा पिछोला झील में जलीय घास के नियंत्रण हेतु ग्रास कार्प एवं कॉमन कार्प प्रजाति की मछलियाँ छोडने की अनुशंषा की गई थी तथा इसके लिए 3 वर्ष के प्रस्ताव तैयार कर नगर निगम उदयपुर को प्रस्तुत किए गए थे। संबंधित फर्म द्वारा वांछित प्रजातियों का मत्स्य बीज पश्चिम बंगाल से विशेष पद्धति से जीवित एवं सकुशल मंगवा कर आपूर्ति किया गया है।
उन्होंने बताया कि जलीय घास ग्रास कार्प मछली का पंसदीदा भोजन है। यह अपने वजन का 2 से 3 गुना घास प्रतिदिन खा सकती है। इसी प्रकार कॉमन कार्प प्रजाति की मछली सर्व भक्षी प्रकृति की होने से सड़ी गली घास, पत्ते, काई इत्यादि खा कर जल की सफाई में सहायक है।
इन विशेष प्रजातियों की मछली झील में छोडने पर पिछोला झील में जलीय खरपतवार के नियंत्रण में मदद मिलेगी। कलेक्टर ने पिछौला झील के परिस्थितिक एवं पर्यटन क्षेत्र के महत्व को देखते हुए जलीय खरपतवार के जैविक नियंत्रण की सहारना की। उन्होंने कहा कि इससे झील में जलीय पर्यावरण में संतुलन बना रहेगा। इस अवसर का विशेष समिति के सदस्य पूर्व कुलपति महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय प्रो. उमा शंकर शर्मा ने जलकुम्भी के जैविक नियंत्रण की बात कही।
मात्स्यिकी महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ सुबोध शर्मा, तेज शंकर पालीवाल झील प्रेमी एवं अकील अहमद सहायक निदेशक ने झील में निरंतर 2-3 वर्ष तक और अधिक मात्रा में ग्रास कार्य के बीज संचयन की आवश्यकता बताई। जिस पर जिला कलक्टर द्वारा झील में पाँच लाख मत्स्य बीज और संचय करने की सहमति प्रदान की।
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फ़ोटो कैप्शन :
मत्स्य : ग्रास कार्प एवं कॉमन कार्प प्रजाति की मछलियों के बीज छोड़ते हुए।
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