कैलिफ़ोर्निया के जंगल में भीषण आग: ज्वालामुखी, राष्ट्रपति ने कहा- ‘युद्ध जैसे हालात’
लॉस एंजेलिस: कैलिफोर्निया के जंगल में लगी भीषण आग ने अब तक 16 लोगों की जान ले ली है और 13 लोग लापता हैं। आग की तेजी से रिक्शाशी एशिया की ओर बढ़ रही है, जिससे हजारों परिवारों को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो महाराज्य ने होटलों को ‘युद्ध के अनुसार’ बताया है और राहत कार्यों को शीघ्रता से करने के आदेश दिए गए हैं।
आग से तबाही का ढाँचा बढ़ा
तेज़ नाव और मछली सीज़न ने आग को और भयानक बना दिया है। 24 घंटे में आग लगने से 1,000 एकड़ से ज्यादा इलाके को अपनी चपेट में ले लिया गया। सांता एना की ढलानों से चलने वाली हवाएं, जो 120 किमी प्रति घंटे की अवलोकन तक पहुंच सकती हैं, आग के और जंगलों का खतरा बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिनों तक स्थिति और बिगड़ सकती है।
राहत उद्यम में परेशानी
आग से प्रभावित एशिया में पानी की कमी, बिजली के पत्थरों और डेरे से राहत कार्य मुश्किल हो गया है। कई इलाक़ों में राहत की लड़ाई को ध्यान में रखते हुए काम करना पड़ रहा है। कनाडा और मैक्सिको ने भी राहत कार्यों में सहयोग देना शुरू कर दिया है।
रिक्शायशी द्वीप पर खतरा
लॉस एंजेलिस और वेचुरा काउंटी के कई महासागरों में आग रेयशी घरों तक पहुंच गई है। हजारों लोग अपना घर खाली करने पड़े हैं। आग के कारण लोगों को घर में रहने और एयरफायर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
आग का कारण: जलवायु परिवर्तन या जलवायु परिवर्तन?
विशेषज्ञ का मानना है कि इस बार की आग का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। कैलिफ़ोर्निया में गर्मी और बारिश की कमी ने जंगल को सूखाकर आग के लिए उपयुक्त बना दिया है। हालाँकि, कई पर्यावरणविदों का यह भी मानना है कि वन प्रबंधन में कमी और प्रशासन की प्रतिकूल प्रतिक्रिया के कारण प्रतिकूल परिस्थितियाँ पैदा हुई हैं।
प्रभावितों का दर्द
प्रभावित क्षेत्र के लोगों का कहना है कि प्रशासन आग पर रोक लगा रहा है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हम बार-बार पानी पीते हैं, लेकिन आग फिर भड़क जाती है। हम अपना घर और भविष्य खो रहे हैं।”
आगे क्या?
राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी हैं, लेकिन आग लगने की स्थिति में प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। एफबीआई ने आग के सबूतों की जांच शुरू कर दी है।
यह आपदा केवल कैलिफ़ोर्निया के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन की ओर अब ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।