उदयपुर, 24 दिसम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के चौथे दिन हाट बाजार अपने रंगत में आया तथा शहरवासियों व पर्यटकों ने जमकर खरीददारी की। शाम को मुक्ताकाशी रंगमंच पर गुजरात की मोहक व लुभावनी संस्कृति देखने को मिली।
उत्सव में शनिवार को हाट बाजार में दोपहर से ही लोगों की खासी भीड़ एकत्र हो गई जगह-जगह लोगों ने जमकर खरीददारी की। हर कोई शिल्पग्राम से कलात्मक वस्तु अपने घर ले जाने की आस में शिल्पग्राम पहुंचा तथा हाट बाजार में कच्छी शॉल, बाड़मेरी पट्टू, गर्म व ऊनी परिधान, जूट के बैग्स, वॉल हैगिंग्स, ज्वैलरी, बेड शीट, बैउ कवर, कॉटन साड़ी, सलवार सूट, नमदे के वॉल पीस तथा चप्पलें, लैदर की सामग्री, खुर्जा पॉटरी, थेवा शिल्प के शिल्पकारों के स्टॉल्स पर लोग कलात्मक वस्तुएँ देखते परखते और खरीदते दिखे। हाट बाजार में ही बहुरूपियों ने लोगों का मनोरंजन किया। दापहर में मुख्य द्वार के समीप कलाकारों के साथ लोग भी नृत्य करते नजर आये।
दोपहर में केन्द्र की ओर से मुख्य रंगमंच के समीप ‘क्ले मॉडलिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें चारू शर्मा ने प्रथम स्थान, लक्षिता ने द्वितीय तथा हीरल तलेसरा ने तृतीय स्थान अर्जित किया। प्रतियोगिता में रश्मि यादव, रूद्र प्रिय राठौड़,भावेश सुथार तथा ध्रुविका कुमावत को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता तथा गोवा के कला एवं संस्कृति विभाग के उप निदेशक अशोक परब ने विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये। प्रतियोगिता में डॉ. निर्मल यादव, छीतर मेल जोशी, अनिता दलवी, श्रुति क्षीरसागर तथा निलेश वेडे निर्णायक थे।
शाक को मक्ताकाशी रंगमंच पर कार्यक्रम की शुरूआत लंगा लोक गायकों के गायन से हुई इसके बाद गुजरात के कलाकारों ने माण्डव रास से गुजराती संस्कृति का यशोगान प्रारम्भ किया। कार्यक्रम में चोरवाड़ अंचल का टिप्पणी रास बहुत रास आया। निर्माण कार्य में जमीन या छत कूटते हुए महिलाएं हाथ में अिप्प्णी ले की गीत गाते हुए नृत्य करती है।। प्रस्तुति में आपसी सामंजस्य दर्शनीय बन सका। इसके बाद मिश्र रास में युवक युवतियों ने मोहक नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में दर्शकों को गुजरात के विभिन्न प्रकार के रास देखने को मिले इनमें हूड़ो रास, घाघर रास प्रमुख हैं। इस अवसर पर ही गुजरात का ढाल तलवार रास वहां के शौर्य का प्रतीक प्रस्तुति बन सकी। गुजरात के सौराष्ट्र अंचल में ढाल तलवार रास की परंपरा है जिसमें नर्तक शरनाई व ढोल की लय पर हाथ में तलवार ले कर नृत्य करते हैं। जिसमें लयकारी के साथ कलाकारों का नर्तन उत्कृष्ट बन सका।
ठस अवसर पर ही गुजरात की जनजाति संस्कृति की झलक छोटा उदेपुर के राठवा आदिवासियों की प्रस्तुति से हुई। सिर पर मोर पंख्या धारण कर राठवा युवक युवतियों ने अपसी तालमेल दिखाते हुए आकर्षक पिरामिड की रचना कर सौम्य दृश्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति डॉ. एस.एस.सारंगदेवोत मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम के अंत में केन्द्र निदेशक तथा कुलपति द्वारा कलाकारों को स्मृति स्वरूप पोर्ट फोलियो भेंट किये गये।
मेंहदी प्रतियोगिता आज
शिल्पग्राम उत्सव के पांचवे दिन रविवार को दोपहर में केन्द्र द्वारा मेंहदी प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। इसके लिये पंजीयन प्रतियोगिता स्थल पर भी करवाये जा सकेंगे।