आओ हँसी – खूशी जी ले
आज का ये पल
कल की चिन्ता न करे
कल पर छोड़े कल
किसने देखा है क्या होगा कल ?
आज का हासिल है अभी का ये पल
इस पल में मधुर राग सजाये
आनंद- उत्सव से भर दे दिशाएं सकल
है कमी भी तो क्या?
उसका भी अपना आनंद – अनुभव है
मिली है हमें नफरत तो क्या ?
उसके अंदर भी प्रेम का बल
जागो और जगाओ यारो
ये पल न गंवाओं यारों
अमन की नैया खेनी है यारों
गो मन की नदी बड़ी चंचल
हमारा सच है केवल ये पल
शैलेंद्र सुधर्मा
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